आर्थिक आरक्षण आखिर किसे मिलेगा 10% स्वर्ण आरक्षण का फायदा-sarkaari yojna

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आर्थिक आरक्षण -sarkaari yojna

जैसा कि हम जानते हैं कि लोकसभा चुनाव 2019 नजदीक है चुनावी माहौल के चलते हुए पीएम श्री नरेंद्र मोदी ने सवर्णों को आर्थिक आरक्षण की सौगात दी है बताया जा रहा है कि इस आरक्षण के हकदार केवल और केवल में नागरिक होंगे जिनकी सालाना आय 800000 से कम होगी लेकिन सवाल यह है कि इस आरक्षण का फायदा किन किन लोगों को और किस प्रकार से मिलेगा छोटा सबसे अहम सवाल यह है कि 10 परसेंट आरक्षण की सौगात देने के बावजूद भी मोदी सरकार सत्ता बच पाएगी |या फिर मोदी सरकार को हार का सामना करना पड़ेगा क्योंकि वी पि  सिंह की सत्ता 27 % आरक्षण देने के बावजूद भी जीत हासिल करने में विफल रही थी |
साथ ही साथ हम आपको बता दें कि गुजरात इस आरक्षण को लागू करने वाला पहला राज्य बन चुका है और कुल आरक्षण लगभग 49.5% से बढ़कर 59.5% हो चुका है ,
यह आरक्षण एससी एसटी और ओबीसी वर्ग के लोगों को दिए गए आरक्षण के अतिरिक्त होगा इस प्रकार कुल आरक्षण 59.5 फ़ीसदी हो गया है इसके पहले ओबीसी के 27% व एससी के 15% और एसटी के साथ दशमलव 7% आरक्षण को मिलाकर के 49.5 फ़ीसदी हुआ करता था लेकिन अब सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के आर्थिक पिछड़े लोगों को भी 10 फ़ीसदी आरक्षण देने पर यह बढ़कर 59 फ़ीसदी हो गया है|
इस आरक्षण का लाभ केवल वही नागरिक उठा सकते हैं जिनके पास 5 एकड़ भूमि तथा सहरो में घर स्वर्ग से कम ग्रामीण क्षेत्रों में 200 गज कम और मासिक वार्षिक आय ₹800000 से कम हो |

आर्थिक आरक्षण देने के लिए नियम व शर्तें :-


  •  8 लाख से कम वार्षिक आमदनी होनी चाहिए 
  • यदि निगम से बाहर प्लॉट है तो वह 209 यार्ड से कम जमीन होनी चाहिए 
  • घर का नाम 1000 स्क्वायर फीट से कम होना चाहिए 
  • कृषि भूमि 5 हेक्टर से कम होनी चाहिए
  •  निगम के अंदर यदि आवासीय प्लॉट है तो वह 109 यार्ड से कम होना चाहिए |

इस sarkaari yojna के लिए संविधान में संशोधन:-

यदि सरकार को इस आर्थिक आरक्षण योजना को लागू करना है तो संविधान में कुछ संशोधन करने होंगे क्योंकि अभी संविधान में इस प्रकार की कोई भी व्यवस्था नहीं है संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव करना पड़ेगा तभी जाकर के सरकार के लिए यह sarkaari yojna लागू करने का रास्ता साफ हो पाएगा|वहीं दूसरी तरफ केटीएस तुलसी ने इस फैसले को आम जनता के साथ मजाक बताया है और कहा कि यह फैसला सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए लिया गया है क्योंकि संसद में साधारण बिल पास नहीं हो पाता तो यह इतना बड़ा फैसला कैसे पास हो पाएगा |

3 बड़े और अहम सवाल ? 


  1. सवर्ण समुदाय का कोई सर्वे नहीं:- यह आर्थिक आरक्षण के रास्ते में सबसे बड़ी समस्या है कि देश में रहने वाले संबंधों का आर्थिक स्तर और उनकी संख्या का सरकार के पास कोई भी आंकड़ा नहीं है जातिगत गणना का कार्य कुछ समय पहले शुरू तो हुआ था लेकिन कुछ ही समय में बंद भी हो गया था तो अब देखना यह है कि सरकार द्वारा किस तरह पिछड़ेपन का दायरा रखा जाएगा और उन्हें आरक्षण देने का तरीका क्या होगा
  2. संबंधों का प्रतिनिधित्व:- दरअसल संविधान के अंदर आरक्षण का जो प्रावधान रखा गया था उस प्रावधान में सिर्फ और सिर्फ पिछड़े जातियों और वर्गों के लिए आरक्षण है जिसका फायदा सरकारी नौकरी हो राजनीति शिक्षा जैसी प्रमुख जगह पर होता है लेकिन भारत में संबंधों का उचित प्रतिनिधित्व दिखता है|
  3. आरक्षण का आधार आर्थिक स्थिति नहीं:- संविधान के अनुसार आरक्षण सिर्फ और सिर्फ उन तबकों को मिलता है जो कि पिछड़े हुए हैं और इसका मुख्य क्राइटेरिया जाति या वर्ग होता है तथा संविधान में आरक्षण देने का कहीं पर भी आधार आर्थिक आधार नहीं है |

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